10000 से अधिक लोगों तक मासिक स्वच्छता का संदेश पहुँचाने का लक्ष्य



पटना- 25, मई:

देश की प्रगति की कहानी सिर्फ़ सड़कों एवं ऊँची-ऊँची इमारतों से नहीं लिखी जा सकती और न ही सिर्फ़ संसाधनों की प्रचुरता से इसे परिभाषित किया जा सकता है. देश की सही प्रगति गाँव की उन कच्ची पगडंडियों से भी होकर गुजरती है जहाँ अभी भी किशोरियां एवं महिलाएं मासिक स्वच्छता जैसे बुनियादी चीजों से अवगत नहीं हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों की बात करें तो अभी भी राज्य में 41% किशोरियों माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूक नहीं हैं. इस लिहाज से अभी भी किशोरियों और समाज के अन्य लोगों को मासिक स्वच्छता पर जागरूक करने की बेहद जरूरत है. इस दिशा में घरेलू हिंसा एवं लिंग असामनता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कार्य कर रही सहयोगी संस्था महत्वपूर्ण पहल करने वाली है. विश्व भर में माहवारी स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 28 मई को विश्व मासिक स्वच्छता दिवस का आयोजन किया जाता है. सहयोगी संस्था इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए 1000 युवाओं को मासिक स्वच्छता पर सामुदायिक अलख जगाने के लिए एक साथ जोड़ेगी. 

10000 लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य:
सहयोगी संस्था की कार्यकारी निदेशक रजनी सहाय ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण की भयावहता बहुत उजागर हुयी है. संक्रमण काल में ब्लैक फंगस जैसी नई समस्या भी देखने को मिल रही है. लेकिन इन सब से इतर गाँवों एवं शहरी स्लम में किशोरियों एवं महिलाओं का एक बड़ा समूह ऐसा भी है जो माहवारी स्वच्छता की जरूरत एवं उपलब्ध संसाधनों के उपयोग से इसे सुनिश्चित करने के विषय में बिल्कुल भी जागरूक नहीं है. इसके पीछे कारण सिर्फ़ संसाधनों की कमी नहीं हैं, बल्कि जागरूकता का आभाव है. इसे ध्यान में रखते हुए विश्व मासिक स्वच्छता दिवस के मौके पर सहयोगी संस्था 1000 युवाओं को अपने साथ जोड़ेगी जो विभिन्न माध्यमों जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से 10000 से अधिक लोगों को मासिक स्वच्छता पर जागरूक करेंगे. उन्होंने बताया कि मासिक स्वच्छता के आभाव में किशोरियों एवं महिलाओं में यौन संक्रमण जैसे कई रोग होने के खतरा बढ़ जाता है. 


चुप्पी तोड़ना भी बेहद जरुरी:
रजनी सहाय ने बताया कि माहवारी एक प्राकृतिक घटना है. लेकिन समुदाय में इस पर खुल कर बात नहीं हो पाती है. शर्म एवं लज्जा के कारण गाँव की किशोरियाँ खुल कर इस पर न बात कर पाती हैं और न ही मासिक स्वच्छता की जरूरत को समझ पाती हैं. मासिक धर्म के दौरान एक महिला के गर्भाशय से रक्त और अन्य सामग्री वेजाइना के माध्यम से बाहर होती है। हर महीने 3-5 दिन तक जारी रहने वाली यह प्रक्रिया प्यूबर्टी (10-15 वर्ष) से शुरू होकर रजोनिवृति (40-50 वर्ष) तक चलती है। इस शारीरिक प्रक्रिया को हमारे समाज में अब भी कलंक और वर्जनो की दृष्टि से देखा जाता है। यही चुप्पी एवं ख़ामोशी किशोरियों एवं महिलाओं को माहवारी स्वच्छता के विषय में जागरूक होने में बाधक बनती है. उन्होंने बताया कि इस मुहिम के दौरान सहयोगी संस्था अधिक से अधिक लोगों को माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूक करने का प्रयास करेंगी. उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि यह सभी लोगों की जिम्मेदारी है कि वह अपने आस-पास के लोगों को भी इसके विषय में जरुर जानकारी दें. 

कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए करें कार्य:  
रजनी सहाय ने बताया कि अभी देश के साथ बिहार भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. इसलिए यह जरुरी है कि किसी भी तरह का भीड़ जमा न होने दें. माहवारी स्वच्छता की इस मुहिम को सोशल मीडिया एवं फोन कॉल के माध्यम से आगे बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बदलाव लाने की सोच के साथ यदि कार्य किया जाए तो हम कोरोना संक्रमण को तो मात देने के साथ मासिक स्वच्छता के लक्ष्य को भी आसानी से हासिल कर सकते हैं.

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Swapnil Mhaske

संबंधित पोस्ट